” Sarvangasana Benefits in hindi ” इस लेख में सर्वांगासन के फायदों और उसे करने के तरीको के बारे में बताया है। साथ ही इस लेख में सर्वांगासन के दौरान ध्यान रखने वाली सावधानियों के बारे में भी जानकारी दी गई है।
सर्वांगासन में संपूर्ण शरीर का व्यायाम होता है , इसीलिए इसे सर्व-अंग-आसन = सर्वांगासन नाम दिया गया है। अंग्रेजी में इस आसन को Shoulder Stand Pose कहा जाता हैं। सर्वांगासन योग में सबसे महत्वपूर्ण आसनों में से एक है।
सर्वांगासन कंधों के सहारे किया जाने वाला एक योगासन है, जिसमें पूरे शरीर को कंधों पर संतुलित किया जाता है। यह आपके शरीर के सभी हिस्सों की कार्य प्रणाली को प्रभावित करता है। यह आसन मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में बेहद फायदेमंद है और इसे ‘आसन की रानी’ भी कहा जाता है।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें प्रतिदिन योगाभ्यास करना चाहिए। सर्वांगासन का पुरे शरीर पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है।
सर्वांगासन करने के तरीके और सर्वांगासन के लाभ (Sarvangasana Benefits) के बारे में जानिए।
Table of Contents
सर्वांगासन करने की विधि | Sarvangasana Steps in Hindi
सर्वांगासन की विधि को ध्यानपूर्वक पढ़े। इसे करने की विधि इस प्रकार है :
1. पीठ के बल सीधे लेट जाईये। 2. दोनों हाथ जमीन पर बाजू में तथा हथेलियाँ नीचे की ओर खुली रहेगी। 3. हाथों का सहारा देकर दोनों पैरों को धीरे - धीरे ऊपर उठाईये। 4. हाथों को कोहनियों से मोड़िये तथा हथेलियों से दबाव डालकर पीठ को सीधा कीजिये। 5. धड़ एवं पैर गर्दन से 90° का कोण बनाते हुए सीधे रहें। 6. ठुड्डी का स्पर्श छाती से करने का प्रयास कीजिये। 7. वापस आने के समय पहले घुटनों को मोड़िये और धीरे - धीरे नीचे आये। श्वास - आसन में जाते समय एवं वापस लौटते समय श्वास अंदर रोकिये। उठी हुई अवस्था में श्वास सामान्य रहेगी। एकाग्रता - अपनी एकाग्रता श्वास क्रिया पर केंद्रित कीजिये।
नए अभ्यासी कुछ सेकंड ही इसका अभ्यास करें तथा प्रतिदिन कुछ सेकंड की अवधि बढ़ाते जाये। पुराने अभ्यासी १५ मिनट तक इसका अभ्यासी कर सकते है। सामान्य स्वास्थ्य के लिए ५ मिनट तक का अभ्यास पर्याप्त है।
सर्वांगासन के लाभ | Sarvangasana Benefits In Hindi

- शरीर का उचित विकास करता है।
- मस्तिष्क को उचित मात्रा में रक्त पहुँचाकर पोषण करता है तथा मनोवैज्ञानिक बीमारियों को दूर करता है।
- हाथों व कन्धों को मज़बूत बनाता है और पीठ को अधिक लचीला बनाता है।
- इसका लगातार अभ्यास करने से थाइरोइड पूर्ण रूप से समाप्त हो जाता है।
- दमा , खाँसी आदि रोगों को दूर करता है।
- पैरों , उदर – प्रवेश , मेरुदंड तथा गर्दन को शक्ति देता है।
- कब्ज़ से राहत देता है और पाचन क्रिया को सक्रिय बनाता है।
- थाइमस ग्रंथि उत्तेजित होती है जो प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाती है।
क्रम | Sequence
सर्वांगासन के बाद हलासन का अभ्यास सर्वोत्तम है। इसके विपरीत आसन है मत्स्यासन , उष्ट्रासन या सुप्त वज्रासन। इसका अभ्यास जितनी देर किया जाये , उसकी आधी अवधि तक इसके विपरीत आसन का अभ्यास करना चाहिये।
सीमाएँ | Sarvangasana Precaution
- सर्वांगासन करते समय किसी भी प्रकार का दबाव नहीं देना चाहिए , पूरा आसन धीरे-धीरे करना चाहिए।
- उच्च रक्त चाप , दिल की बीमारी , लीवर की समस्या में तथा तिल्ली बढ़ने पर इस आसन का अभ्यास वर्जित है।
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