” Bhujangasana yoga in hindi ” इस लेख में भुजंगासन के फायदें और उसे करने के तरीकें के बारे में बताया है। और साथ ही इस लेख में भुजंगासन के वक्त ध्यान रखने वाली सावधानियों के बारे में भी जानकारी दी गई है।
योग और आयुर्वेद का जन्म भारत में हुआ और यहीं से इनका प्रकाश पूरी दुनिया में फैलता चला गया। आज आधुनिक विज्ञान भी इसे मान रहा है।
योग और आयुर्वेद को मनुष्य ने प्रकृति से ही सीखा है। प्रकृति में उगने वाली जड़ी-बूटियों से खुद को स्वस्थ बनाने के लिए मानव ने आयुर्वेद का निर्माण किया। तथा विभिन्न पशु-पक्षियों की मुद्राओं से मनुष्य ने योग विद्या की रचना की है। योग और आयुर्वेद, सिर्फ मनुष्य को स्वास्थ्य ही प्रदान नहीं करता हैं अपितु ये हमें जीवन जीने का तरीका भी बताते हैं और हमें भीतर से स्वस्थ बनाते हैं।
“भुजंग” शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है। भुजंग का अर्थ सर्प होता है। इस मुद्रा में शरीर सांप की आकृति बनाता है, इसलिए इसे भुजंग-आसन कहा जाता है। भुजंगासन को अंग्रेजी में Cobra Pose कहा जाता है। सभी आसनों में से भुजंग आसन एक प्रसिद्ध आसन है। योग में सम्पूर्ण आसन माना जाने वाले सूर्यनमस्कार (Surya namaskar) में भुजंगासन ७वीं स्तिथि पर आता है।
इसके नियमित अभ्यास से हमें बहुत फायदे मिलते हैं। इसीलिए ” Bhujangasana yoga in hindi ” इस लेख में हम आपको भुजंगासन से जुड़ी हर उस चीज के बारे में बताएँगे, जो इस आसन को करने से पहले हमें जानने की जरुरत है। पीठ के दर्द के रोगियों के लिए यह आसान अत्यंत लाभकारी है। यह लाभदायी आसन प्रति दिन करने से करने से कंधे, हाथ, कुहनियाँ, पीठ, किडनी, और लीवर को मज़बूती मिलती है, तथा अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है।
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भुजंगासन करने की विधि | Bhujangasana Steps in Hindi
भुजंगासन की विधि को ध्यानपूर्वक पढ़े। इसे करने की विधि इस प्रकार है :
1. पेट के बल लेट जाइये तथा पैरों को सीधा व लम्बा फैला दीजिये | 2. हथेलियों को कंधों के नीचे जमीन पर रखिये । 3. सिर को जमीन से छूने दीजिये । 4. पूरे शरीर को ढीला कीजिये । विशेष रूप से पीठ की मांसपेशियों को शिथिल कीजिये । 5. धीरे - धीरे सिर को व कंधों को जमीन से ऊपर उठाइये तथा सिर को जितना पीछे की ओर ले जा सकें , ले जाइये । 6. अभ्यासियों को हाथों की सहायता के बिना कंधों को केवल पीठ के सहारे ऊपर उठाने का प्रयत्न करना चाहिए | 7. अब हाथों को काम में लाइये और धीरे - धीरे पूरी पीठ को ऊपर की ओर तथा पीछे की ओर झुकाते हुए गोलाकार करते जाइये ; जब तक कि हाथ पूर्ण रूप से सीधे न हो जायें । 8. उपरोक्त क्रिया करते समय इस बात का ध्यान रहे कि पीठ पर विशेष तनाव या अनावश्यक खिंचाव न पड़ने पाये । शरीर को नाभि से ऊपर तक उठाइये । 9. अंतिम स्थिति में आराम के साथ कुछ देर रुकिये ; फिर धीरे - धीरे उपरोक्त क्रिया को विपरीत रूप में करते हुए पूर्व स्थिति में वापस लौटिये | श्वास - जमीन से शरीर को ऊपर उठाते समय श्वास अंदर लीजिये। अंतिम स्तिथि में श्वास अंदर रोक कर रखें। पूर्व स्तिथि में लौटते समय धीरे - धीरे श्वास बाहर छोड़िये। एकाग्रता - पीठ या श्वास - प्रक्रिया पर केंद्रित कीजिये।
यह आपको ऊर्जावान बनाएगा। यह पसलियों के बीच वाले हिस्से को फैलाता है, जो आपके रिब केज का विस्तार करता है और इस तरह आपकी श्वास क्षमता को बढ़ा सकता है।
समय
अंतिम स्तिथि में जितना हो सके उतनी देर से १ मिनट तक रुकिए। इस आसन को ५ बार दोहराइये।

भुजंगासन के लाभ | Benefits of Bhujangasana in hindi
इसे नियमित रूप से करने पर निम्न लाभ मिलते हैं :
- थकान और तनाव से मुक्ति दिलाता है।
- मेरुदंड संस्थान को स्वस्थ ,लचीला व पुष्ट बनता है।
- कमर का निचला हिस्सा मजबूत बनाया जा सकता है।
- यह भूख को उत्तेजित करता है तथा कब्ज का नाश करता है।
- डिप्रेशन में भी इससे फायदा मिलता है।
- हार्ट की नसों के ब्लॉकेज खोलने में भी मदद मिल सकती है।
- भुजंगासन करने से किडनी और लीवर स्वस्थ रहते हैं।
- दिन भर बैठ कर काम काज करने वाले व्यक्तियों को पेट और कमर के आसपास अतिरिक्त चर्बी बढ़ जाती है। ऐसे व्यक्ति अगर प्रति दिन भुजंग आसन करें तो तेजी से चर्बी कम की जा सकतीहै।
- कंधे और गर्दन के तनाव से मुक्त कराता है।
- अस्थमा तथा अन्य श्वास प्रश्वास संबंधी रोगों के लिए अति लाभदायक (जब अस्थमा का दौरा जारी हो तो इस आसन का प्रयोग ना करें)।
सीमाएँ
जो व्यक्ति पेट के घाव , हर्निया , आँत की बीमारी या चुल्लिका ग्रन्थि की अधिक क्रियाशीलता से पीड़ित हैं , उन्हें किसी अच्छे डॉक्टर या योग प्रशिक्षक की सलाह के बिना इस आसन को नहीं करना चाहिए |